#शायरी (सोबत रांगोळी आहेच)
सपनों की स्याही से लब्जो को हैं भिगोया
उम्मीद की किरण से जस्बातो को हैं पिरोया
अफसानों की दुनिया से कुछ लम्हों को हैं चुराया
क्या कहूं यारो बड़ी मुश्किल से
खयालो कें शहर में मैंने घर हैं बसाया।
©️ अंजली मीनानाथ धस्के
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